शब्द का अर्थ
|
कदर :
|
पुं० [सं० क√द्व (विदारण)+अच्] १. लकड़ी चीरने का आरा। २. हाथी चलाने का अंकुश। ३. कंकड़ी आदि चुभने के कारण पैर में पड़नेवाली गाँठ। गोखरू। ४. सफेद खैर का पेड़। स्त्री० [अ० कद्र०] १. मात्रा। मान। २. आदर। प्रतिष्ठा। संमान। ३. महत्त्व। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदरई :
|
स्त्री०=कायरता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदरज :
|
पुं० [सं० कदर्य्य] एक प्रसिद्ध पापी। वि०=कदर्य्य। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदरदान :
|
विं० [अ०+फा०] १. किसी का महत्त्व समझकर उसकी प्रतिष्ठा या संमान करने वाला। २. जो किसी के गुणों का ठीक और पूरा महत्त्व आँक सकेय। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदरदानी :
|
स्त्री० [अ०+फा०] कदरदान होने की अवस्था या भाव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदरमस :
|
स्त्री० [सं० कदन+हिं० मस (प्रत्य०) १. मारपीट। २. लड़ाई। झगड़ा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदरा :
|
वि० [हिं० कादर] १. कायर। डरपोक। २. डरा हुआ। भयभीत। उदा०—तुम बिन पिय अति कदरा।—भारतेंदु। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदराई :
|
स्त्री०=कायरता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदराना :
|
अ० [हिं० कादर] १. कायरता दिखलाना। साहस या हिम्मत छोड़ना। २. डरना। स० किसी में कायरता या डर का भाव करना। किसी को कायर होने में प्रवृत्त करना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदरो :
|
स्त्री० [देश०] मैना की तरह का एक पक्षी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदर्थ :
|
पुं० [सं० कु-अर्थ, कुगति सं०, कद् आदेश] निकम्मी या रद्दी चीजे। कू़ड़ा-करकट वि० १. अनुचित या बुरे अर्थवाला। २. निकम्मा या रद्दी। ३. कुत्सित। बुरा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदर्थना :
|
स्त्री० [सं० कु-अर्थना, कुगति सं० कद आदेश] १. बुरी या हीन दशा। २. दुर्गति। दुर्दशा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदर्थित :
|
भू० कृ० [सं० कु-अर्थित कुगति सं०, कद आदेश] १. जिसकी निंदा या बुराई की गई हो। २. जिसकी दुर्दशा हुई हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदर्य :
|
वि० [सं० कु-अर्थ, कुगति सं० कद् आदेश] १. कंजूस। कृपण। २. कायर। डरपोक। ३. बुरा। हीन। उदा०—हृदय सोचता कैसे उनका मिटे कदर्य पराभव।—पंत |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कदर्यता :
|
स्त्री० [सं० कदर्य+तल्—टाप्] १. कदर्य होने की अवस्था या भाव। २. कंजूसी। कृपणता। ३. कायरता। ४. हीनता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |