शब्द का अर्थ
|
उँगल :
|
स्त्री० =उँगली। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उँगल :
|
स्त्री० =उँगली। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उँगली :
|
स्त्री० [सं० अंगुलि] हाथ या पैर के पंजो में से निकले हुए पाँच लंबे किंतु पतले अवयवों में से हर एक। (इन्हें क्रमशः अंगुष्ठ या अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका तथा कनिष्ठिका या कानी उँगली कहते हैं) मुहावरा—(किसी की ओर) उँगली उठाना=(किसी के) कोई अनुचित काम करने पर उसकी ओर संकेत करते हुए उसकी चर्चा करना। उँगली चटकाना=उँगली को इस तरह खींचना, दबाना या मोड़ना कि उसमें से चट-चट शब्द निकले। उँगलियाँ चमकाना, नचाना या मटकाना=बात-चीत या लड़ाई के समय स्त्रियों की तरह हाथ और उँगलियाँ हिलाना या मटकाना। उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना=थोड़ा सा अधिकार या सहारा मिलने पर सारी वस्तु या सत्ता पर अधिकार जमाना। थोड़ा-सा सहारा पाकर सब की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील होना। (किसी को) उँगलियों पर नचाना=(क) किसी ले जैसा चाहे वैसा काम करा लेना। (ख) जान-बूझकर किसी को तंग या परेशान करना। (किसी कृति पर) उंगली रखना=किसी कृति में कोई दोष बतलाना या उसकी ओर संकेत करना। उदाहरण—क्या कोई सहृदय कालिदास के कवि-कौशल उँगली रख सकता है ? कानो में उँगलियाँ देना=किसी परम अनुचित या निदंनीय बात की चर्चा होने पर उसके प्रति परम उदासीनता प्रकट करना। पाँचों उगलियाँ घी में होना=सब प्रकार से यथेष्ठ लाभ होने का अवसर आना। जैसे—अब तो आपकी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं। पद-कानी उँगली-सबसे छोटी और अंतवाली उंगली। कनिष्ठिका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उँगली :
|
स्त्री० [सं० अंगुलि] हाथ या पैर के पंजो में से निकले हुए पाँच लंबे किंतु पतले अवयवों में से हर एक। (इन्हें क्रमशः अंगुष्ठ या अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका तथा कनिष्ठिका या कानी उँगली कहते हैं) मुहावरा—(किसी की ओर) उँगली उठाना=(किसी के) कोई अनुचित काम करने पर उसकी ओर संकेत करते हुए उसकी चर्चा करना। उँगली चटकाना=उँगली को इस तरह खींचना, दबाना या मोड़ना कि उसमें से चट-चट शब्द निकले। उँगलियाँ चमकाना, नचाना या मटकाना=बात-चीत या लड़ाई के समय स्त्रियों की तरह हाथ और उँगलियाँ हिलाना या मटकाना। उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना=थोड़ा सा अधिकार या सहारा मिलने पर सारी वस्तु या सत्ता पर अधिकार जमाना। थोड़ा-सा सहारा पाकर सब की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील होना। (किसी को) उँगलियों पर नचाना=(क) किसी ले जैसा चाहे वैसा काम करा लेना। (ख) जान-बूझकर किसी को तंग या परेशान करना। (किसी कृति पर) उंगली रखना=किसी कृति में कोई दोष बतलाना या उसकी ओर संकेत करना। उदाहरण—क्या कोई सहृदय कालिदास के कवि-कौशल उँगली रख सकता है ? कानो में उँगलियाँ देना=किसी परम अनुचित या निदंनीय बात की चर्चा होने पर उसके प्रति परम उदासीनता प्रकट करना। पाँचों उगलियाँ घी में होना=सब प्रकार से यथेष्ठ लाभ होने का अवसर आना। जैसे—अब तो आपकी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं। पद-कानी उँगली-सबसे छोटी और अंतवाली उंगली। कनिष्ठिका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|